stories for class 2 and 3 with pictures
खतरों से जूझना सीखें
मुन्नू अपने घर के निकट लगी झर-बेरियों की झाड़ियों के नजदीक ही खेल रहा था।
पके और रसीले बेरों को देखकर उसके मुंह में पानी भर आया।
मुन्नू बेरों को देखकर सोचने लगा-'यह बेर कितने रसीले दीख रहे हैं।
इन्हें तोड़कर फुरसत में मजे से खाऊंगा।'
इन्हें तोड़कर फुरसत में मजे से खाऊंगा।'
लेकिन जैसे ही उसने बेर तोड़कर झाड़ियों में से अपना हाथ खींचा,
उसके हाथ में कांटे चुभ गए। तीव्र पीड़ा और जलन के मारे मुन्नू रोने-बिलखने लगा।
उसके हाथों मेंछोटे-छोटे दाने भी उभर आए।
उसके हाथ में कांटे चुभ गए। तीव्र पीड़ा और जलन के मारे मुन्नू रोने-बिलखने लगा।
उसके हाथों मेंछोटे-छोटे दाने भी उभर आए।
मुन्नू ने घर आकर अपनी मां को सारी बात बताई। रोते-सिसकते हुए वह बोला-'मां! मैंने
तो कांटों को केवल छुआ था। देखो! उन्होंने मेरे हाथों की क्या दशा बना दी।'
मां ने अपने पुत्र के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा-'बेटे! तुम्हारे हाथ में कांटे इसलिए चुभे क्योंकि तुमने केवल उन्हें छुआ था। अगर तुम मजबूती से पकड़ते तो वे तुम्हें चुभते नहीं। याद रखो, खतरों से खेले बिना कुछ प्राप्त नहीं होता।'
शिक्षा-:
जहां गुलाब होगा, वहां कांटे भी होंगे। चतुर वही है जो कांटों सेबचकर फूल तोड़ ले।
सभी स्वार्थी होते हैं
एक हाथी और शेर की रास्ते में मुलाकात हो गई। दोनों एक ही ओर जा रहे थे। अभी वे थोड़ी ही
दूर चले थे कि रास्ते में उन्हें कागजों का एक बंडल मिला।
शेर ने बंडल उठा लिया और हाथी को थमाता हुआ बोला-'हाथी भैया!
मुझे पढ़ना नहीं आता, जरा पढ़कर सुनाइए।'
हाथी ने बंडल खोला तथा एक कागज उठाता हुआ बोला-'गन्ना, घास-फूस।'
दूर चले थे कि रास्ते में उन्हें कागजों का एक बंडल मिला।
शेर ने बंडल उठा लिया और हाथी को थमाता हुआ बोला-'हाथी भैया!
मुझे पढ़ना नहीं आता, जरा पढ़कर सुनाइए।'
हाथी ने बंडल खोला तथा एक कागज उठाता हुआ बोला-'गन्ना, घास-फूस।'
यह सुनकर शेर का मुंह लटक गया। उसने सोचा इन सब चीजों का तो हाथी से संबंध है।
अतः अत्यधिक उत्सुकतावश बोला-'हाथी भैया! जरा पेज पलटकर देखो न।
शायद मांस-हड्डी आदि का भी जिक्र हो।'
अतः अत्यधिक उत्सुकतावश बोला-'हाथी भैया! जरा पेज पलटकर देखो न।
शायद मांस-हड्डी आदि का भी जिक्र हो।'
हाथी ने उस कागज के अलावा दूसरे सभी कागजों को उलट-पलट कर
देखा लेकिन शेर की रुचि की चीजें कहीं नहीं लिखी थीं।
अब शेर और भी उदास हो गया।
दुखी मन से वह हाथी से बोला-' फेंक दो इस बंडल को, यह बेकार की चीज है।'
देखा लेकिन शेर की रुचि की चीजें कहीं नहीं लिखी थीं।
अब शेर और भी उदास हो गया।
दुखी मन से वह हाथी से बोला-' फेंक दो इस बंडल को, यह बेकार की चीज है।'
शेर की बात सुनकर हाथी मुस्कराया।
उसकी समझ में यह बात आ गई कि शेर ने ऐसा क्यों कहा।
क्योंकि कागजों के बंडल में उसकी रुचि का वर्णन नहीं था।
उसकी समझ में यह बात आ गई कि शेर ने ऐसा क्यों कहा।
क्योंकि कागजों के बंडल में उसकी रुचि का वर्णन नहीं था।
शिक्षा-:
कितना भी सीधा-हम सरल होने का दम भरें लेकिन जब तक स्वार्थ नहीं होता तो रुचि भी नहीं होती।
No comments: