खिसियाई बिल्ली अपना मुंह नोचे
एक चिड़ियाघर में रंग-बिरंगे विभिन्न प्रकार के पक्षी रहते थे। उन सभी पक्षियों की उचित देखभाल की जाती थी। लेकिन बदकिस्मती से एक बार वहां पर भयंकर महामारी फैल गई। जिसके कारण चिड़ियाघर के सभी पक्षी उस रोग का शिकार हो गए।
चिड़ियाघर का रक्षक उनकी यह दशा देख चिंतित हो उठा और पक्षियों की चिकित्सा हेतु किसी योग्य डॉक्टर की तलाश में निकल पड़ा। जब वह अपने किसी परिचित से डॉक्टर के विषय में पूछ रहा था तो एक दुष्ट बिल्ली ने उनकी सारी बातें सुन लीं, और उसे पता चल गया कि चिड़ियाघर के सभी पक्षी बीमार हैं।
शातिर बिल्ली सोचने लगी कि किसी प्रकार चिड़ियाघर में दाखिल हुआ जाए। तभी उसे एक उपाय सूझ गया और उसने डॉक्टर का रूप धारण कर लिया। हाथ में दवाइयों वाला बैग पकड़कर वह चिड़ियाघर पहुंच गई। वहां पहुंचकर बिल्ली बोली-'अब आप सब का स्वास्थ कैसा है। मैं आपकी चिकित्सा के
लिए यहां आई हूं।' अपने हाथ की ओर संकेत करते हुए बोली, 'यह देखो! मैं अपने साथ दवाइयों वाला बैग भी लाई हूं। अब आप सभी एक-एक करके अपना रोग बताएं।'
समझदार पक्षियों ने डॉक्टर के वेष में उस दुष्ट बिल्ली को पहचान लिया तथा अपनी बुद्धिमानी का परिचय देते हुए बोले-'डॉक्टर मौसी! हम बिल्कुल स्वस्थ हैं। हमें आपके उपचार की कोई आवश्यकता नहीं है। आप यहां से शीघ्र ही चली जाएं। यही आपके लिए बेहतर होगा।'
यह सुनकर दुष्ट बिल्ली अपना मुंह नोचने लगी।
शिक्षा-:
रामनामी दुपट्टा ओढ़ लेने से डाकू संत नहीं हो जाता, हां उसके संत होने का भ्रम अवश्य होता है। ऐसे में समझदार प्राणी धोखा नहीं खाते।
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