दि‍वाली पर कविता


 आओ मिलकर दीप जलाएं

रिश्तो की एक नई प्रीत जगाए,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


आओ मिलकर दीप जलाएं

कर दो ऐसे जग सारा रोशन,

कहीं छूट न जाए कोई कोना अंधियारा।


भूल कर सब द्वेष भावना

दोस्ती का नया दीप जलाएं,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


आओ सब मिलकर रूठो को मनाएं

मिठाईयां बांटकर प्यार की मिठास बढ़ाएं,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


धनतेरस पर सब मिलकर बाजार जाए

भाई दूज को भाई बहन का प्यार बढ़ाएं,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


आओ सब मिलकर उजियारे का दीप जलाएं

अपने मन से क्रोध और इर्ष्या का भूत भगाए,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


आओ सब मिलकर घर-घर जाए

लेकर बड़ों का प्यार और आशीर्वाद,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।आओ मिलकर दीप जलाएं

रिश्तो की एक नई प्रीत जगाए,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


आओ मिलकर दीप जलाएं

कर दो ऐसे जग सारा रोशन,

कहीं छूट न जाए कोई कोना अंधियारा।


भूल कर सब द्वेष भावना

दोस्ती का नया दीप जलाएं,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


आओ सब मिलकर रूठो को मनाएं

मिठाईयां बांटकर प्यार की मिठास बढ़ाएं,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


धनतेरस पर सब मिलकर बाजार जाए

भाई दूज को भाई बहन का प्यार बढ़ाएं,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


आओ सब मिलकर उजियारे का दीप जलाएं

अपने मन से क्रोध और इर्ष्या का भूत भगाए,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।


आओ सब मिलकर घर-घर जाए

लेकर बड़ों का प्यार और आशीर्वाद,

आओ सब मिलकर दीपावली मनाएं।

                                                        – नरेंद्र वर्मा

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