एक गौशाला में एक बैल खूंटे से बंधा हुआ था। उसके सामने कुछ भूसा रखा हआ। जिसे वह मजे से खा रहा था। पास ही कोने में एक खटमल बैठा हुआ था, जो बैल को खाते हुए देख रहा था।
बैठे-बैठे खटमल सोचने लगा-'बैल दिनभर मेहनत करके मनुष्यों के खेत जोतते हैं पर शाम होने पर इनको खाने को क्या मिलता है-चारे के नाम पर सिर्फ भूसा और मैं मनष्यों का खून पीता हूं लेकिन उनके लिए कोई काम नहीं करता।'
सोचते-सोचते खटमल बैल के नजदीक गया और बोला-'बैल भाई! आप इतने ताकतवर होकर भी मनुष्यों का काम क्यों करते हैं? मुझे देखो! मैं कितना छोटा-सा पाणी फिर भी मनुष्यों का खून चूसता हूं। मगर उनके लिए कोई काम नहीं करता।'
खटमल की बात सुनकर बैल क्रोधित हो बोला-'धूर्त खटमल! यदि मैं मनुष्यों के लिए काम करता हूं तो वे भी मुझे खिलाते-पिलाते हैं। मुझे रहने के लिए घर देते हैं। बीमार होने पर मेरी दवा-दारू भी कराते हैं। यही नहीं, स्नेहवश मेरी पीठ भी सहलाते हैं। तुम उनका खन चसते हो। उनका कोई भी काम न करके उल्टा उन्हें डंक मारते हो। इसीलिए वे हमेशा तुम्हारी जान के दुश्मन बने रहते हैं और हाथ लगते ही तुम्हारा काम तमाम कर देते हैं।'
यह बात सुनकर बेचारे खटमल का सिर शर्म से झुक गया।
आपके कर्म ही आपकी गुणवत्ता का निर्धारक होते हैं।जैसे कर्म होंगे वैसी ही गति होगी।
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