रावण ने बताई कलयुग की 10 बातें|Ramayana Epic
रावण समस्त वेदों का ज्ञाता और परम शक्तिशाली था |उसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश आदि अनेक बड़े देवताओं से कई अस्त्र-शस्त्र की दिव्य शक्तियां प्राप्त की थी| उसके जीवन का लक्ष्य था पूरे संसार पर राज करना | यह 10 बातें अपने सीख ली तो कलयुग में भी सफल हो जाएंगे | जब रावण मरणासन्न अवस्था में था तब प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण से कहा कि जाओ उसके पास जाकर उच्च शिक्षा ले लो श्री राम की यह बात सुनकर लक्ष्मण चकित रह गए भगवान श्री राम ने लक्ष्मण से फिर कहा कि इस संसार में नीति, राजनीति और शक्ति का महान पंडित रावण अब विदा हो रहा है| तुम उनके पास जाओ और उसे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जोऔर कोई नहीं दे सकता तब लक्ष्मण रावण के चरणों में बैठ गए लक्ष्मण को अपने चरणों में बैठा देख महापंडित रावण ने लक्ष्मण को कई ऐसे बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है|
1.शुभ कार्य जितनी जल्दी हो करना चाहिए
उसमें सबसे पहली बात जो लक्ष्मण को रावण ने बताई थी कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो करना चाहिए और अशुभ कार्य को जितना टाल सकते हो टालते रहना चाहिए|"में समय पर प्रभु राम को पहचान नहीं पाया | समय पर पहचान लेतातो मेरी यह दशा नहीं होती |
2.शत्रु को कभी छोटा मत समझो
उसके बाद दूसरा बात जो रावण ने बताई थी की शत्रु को कभी छोटा मत समझो| अपने शत्रु को कभी भी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए |मेने भी यह भूल कर गया मैंने जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा उन्होंने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया "| तीसरी बात बताई की कोई तुच्छ नहीं होता |
3. कोई तुच्छ नही होता
महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीसरी बड़ी यह सीख दी कि " मैंने जब ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई भी मेरा वध ना कर सके ऐसा वर मांगा था| क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था| यह मेरी गलती हुई "|
4.शक्ति सब कुछ होती है
चौथी सीख है - रावण मानता था कि शक्ति सब कुछ होती है जिसके दम पर सेहत, ज्ञान और संसार की सभी वस्तुओं को प्राप्त किया जा सकता है | रावण हर समय अपनी शक्ति को बढ़ाता रहता था |उसका मानना था कि शक्ति योग्यता से जन्मती है | हालांकि रावण को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था| उसका घमंड शिव जी ने तोड़ा दिया था | तब उसने शिव जी की स्त्रुति | रावण मायावी शक्ति का स्वामी था| रावण एक त्रिकालदर्शी था |जब उसे मालूम हुआ कि प्रभु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया है और वह पृथ्वी को राक्षसहिन् करना चाहते है तब रावण ने राम से बेर लेने की सोची |
5.रावण खोज और आविष्कार को महत्व देता था
उसके बाद पाचवी बड़ी चीज है- खोजी बुद्धि थी रावण की |रावण हर समय खोज और आविष्कार को ही महत्व देता था| वह नए-नए अस्त्र शस्त्र और यंत्र बनाता रहता था| कहते थे कि वह स्वर्ग तक सिधिया बनाना चाहता था |वह स्वर्ण में सुगंध निकले इसके लिए भी प्रयास करता रहता था| रावण की पत्नी मंदोदरी ने ही शतरंज का आविष्कार किया था | रावण की वेधशाला थी जहां तरह-तरह के आविष्कार होते थे| खुद रावण ने उसकी वेधशाला में दिव्य रथ का निर्माण किया था| कुंभकरण अपनी पत्नी ब्रिज वाला के साथ अपनी प्रयोगशाला में तरह तरह के अस्त्र-शस्त्र पर यंत्र बनाने में लगे रहते थे| जिसके चलते उनको खाने-पीने की सूत ही नहीं रहती थी| कुंभकर्ण की यंत्रमानव कला को ग्रेट इंडियन पुस्तक मविजार्ड आर्टें का दर्जा दिया गया है |इस कला में रावण की पत्नी धनमाली ने भी पारंगत थी|
6.वह तपस्वी था
इसके बाद उसमे एक और खूबी भी थी वह तपस्वी था | अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए तप करता रहता था |उसने तप के बल पर ही ब्रह्मा जी से वरदान मांगा था और उसने तप के ही बल पर सभी ग्रहों के देवों को बंधक बना लिया था| हनुमान जी ने ही शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया था |उल्लेखनीय है कि तप का प्रथम रूप है संकल्प और व्रत जो व्यक्ति संकल्प और व्रत के साथ लेता है |वह हर क्षेत्र में सफल हो जाता है |रावण शिव का बहुत बड़ा भक्त था |
जब रामेश्वरम में प्रभु श्री राम के द्वारा शिवलिंग की स्थापना की जा रही थी तब किसी विद्वान पंडित की आवश्यकता थी बहुत खोज करने के बाद पता चला की रावण से बड़ा पंडित और विद्वान दूसरा कोई है ही नही |ऐसे में उसके पास आमंत्रण भेजा गया क्योंकी रावण शिव भक्त था इसलिए उसने अपने सत्रुओ का भी आमंत्रण स्वीकार कर लिया था |
7. हर व्यक्ति को जड़ी, बूटी और आयुर्वेद का ज्ञान रखना चाहिए
इसके बाद है -रावण आयुर्वेद का भी जानकार था| रावण को रसायन शास्त्र का भी अच्छा-खासा ज्ञान था | उसका मानना था की हर व्यक्ति को जड़ी, बूटी और आयुर्वेद का ज्ञान रखना चाहिए क्योंकि जीवन में इसकी उपयोगिता बहुत होती है| लगन का पक्का था रावण |
8.रावण से जुनूनी होना सीखना चाहिए
रावण जब किसी कार्य को अपने हाथ में लेता था| तो वह उसे पूरी निष्ठा और लगन और जोश के साथ संपन्न कर देने तक उसका पीछा नहीं छोड़ता था| यही कारण था कि वह अनेक तरह की विद्याओं का ज्ञाता और मायावी बन गया था | वह अपनी इस ताकत के बल पर ही संपूर्ण धरती पर राज करने की सोचने लगा था | उसने कई बड़े अभियान चलाए और निर्माण कार्य किए यदि किसी कार्य करने की प्रति लगन नहीं है तो वह कोई भी कार्य जीवन में पूर्ण नहीं कर पाएगा इसीलिए रावण से जुनूनी होना सीखना चाहिए|
9.शास्त्र का रचयिता था रावण
रावण बहुत बड़ा शिव भक्त था | यह तो सब जानते हैं उसने शिव की स्तुति में तांडव स्त्रोत लिखा था|
रावण ने ही अंक प्रकाश ,इंद्रजाल, कुमारतंत्र, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, ऋग्वेद भाष्य, रावणीयम, नाड़ी परीक्षा आदि पुस्तकों की रचना की थी।
10.प्रत्येक व्यक्ति को पुस्तक पढ़ने की रुचि होनी चाहिए
रावण में पुस्तक पढ़ने और लिखने की भी रुचि थी |प्रत्येक व्यक्ति को पुस्तक पढ़ने की रुचि होनी चाहिए पुस्तके हमारी सबसे अच्छी शिक्षक और मार्गदर्शक होती है कि हमारी बुद्धि को तेज बनाती है| और अगर इसकी तुलना हम आज के युग से करे तो जितनो बुक पढने में रूचि दिखाई है वह एक क़ामयाब व्यक्ति बना है जैसे Bill Gates,Elon Musk,Mahatma Gandhi,Warren Buffett . तो यह 10 बातें थी जो हमें रावण से सीखनी चाहिए तो हमें जीवन में सफलता मिल सकती है अब बात करते हैं रावण की कितनी पत्नियां थी और कौन कौन थी रूसी विश्वकर्मा ने ऋषि भारद्वाज की पुत्री से विवाह किया था इनसे कुछ
No comments: