6 best stories of akbar birbal in hindi

6 best stories of akbar birbal in hindi


बकरे का दूध 

एक दफा बादशाह ने बीरबल से कहा कि बीरबल हमारी बेगम को कुछ दिन से बराबर सिर में दर्द रहता है और किसी ओझा ने इसकी दवा बनाने के लिए बकरे का दूध मांगा है। अतः हमें कहीं से भी बकरे का दूध मंगवाकर दो। बीरबल समझ गया कि ओझा ने बादशाह को मूर्ख बनाया है।
घर जाकर उसने अपनी लड़की को समझाया और वह फौरन से ही रात्रि के समय बादशाह के महल के पास यमुना में कपड़े धोने लगी बादशाह की नींद में विज पड़ा तो बादशाह ने फौरन ही उसे बुलाकर पूछा कि तू कौन है और रात के समय कपड़े क्यों धो रही है।
लड़की ने कहा-हुजूर में बीरबल की लड़की हूँ अभी शाम को ही बीरबल के पेट से बच्चा पैदा हुआ है मैं उन्हीं के कपड़े धो रही हूँ।
बादशाह ने कहा-लड़की? क्या तू पागल तो नहीं है कहीं मर्द के पेट में बच्चा हुआ है।
लड़की ने कहा-तो हुजूर कहीं बकरे के भी दूध होता है?
लड़की की बात सुनते ही बादशाह सब समझ गए और उसे इनाम देकर घर भिजवा दिया।

अक्ल की दाद

एक दिन बादशाह अकबर ने कागज पर पेन्सिल से एक लम्बी लकीर खींची और बीरबल को बुलाकर कहा-बीरबल न सा यह लकीर घटाई जाये, और न मिटाई जाये लेकिन छोटी हो
जाये? बीरबल ने उस लकीर के नीचे एक दूसरी लकीर पेन्सिल से बड़ी खींच दी।
यह देखिए जहाँ पनाह! बीरबल बोले-अब आपकी लकीर इससे छोटी हो गई। बादशाह यह देखकर बहुत खुश हुए और मन ही मन में उसकी अक्ल की दाद देने लगे।

 जगर-मगर 

बादशाह अकबर ने भरी सभा में घोषणा की इस बार मुहर्रम पर सभी दरबारी अपने महलों को अच्छी तरह सजाएँ। जिसके महल में सबसे अच्छी रोशनी होगी, उसे पुरस्कार दिया जायेगा।
 मुहर्रम के दिन बादशाह घोड़े पर सवार होकर बीरबल के साथ दरबारियों के महलों की रोशनी देखने निकले। सभी के महल जग-मग कर रहे थे। बीरबल के महल के आगे राजा रुक गये। बोले बस, दो-चार दीपक! तुमने हमारी आज्ञा का पालन नहीं किया है।
बादशाह को लेकर बीरबल नगर में बाहर गरीबों की बस्ती में गया। वहाँ झोंपड़ियां प्रकाश के दमदमा रही थीं। बीरबल बादशाह अकबर से बोला-बादशाह, देखिए, आपकी आज्ञा का मैंने सही पालन किया है। इन्हें ही रोशनी की ज्यादा जरूरत हैं । 
बादशाह ने मुस्करा कर पुरस्कार की राशि गरीबों में बांट दी।

हर वक्त कौन चलता है?

 एक दिन बादशाह ने दरबारियों से पूछा कि हर समय कौन चलता है? उत्तर में किसी ने सूर्य किसी ने पृथ्वी तथा इसी तरह किसी ने चन्द्रमा आदि को बतलाया।
बादशाह ने तब यह प्रश्न बीरबल से कहा तो उन्होंने उत्तर दिया कि आलीजहाँ, महाजन का ब्याज (सूद) हर समय चलता है इसे कभी थकावट नहीं मालुम होती। दिन दुगना रात चौगुनी वेग से चलता रहता है। बादशाह को यह उत्तर पसन्द आया।

जो कहा सो कहा

 एक दिन अकबर बादशाह अपनी बेगम के साथ बैठे आम खा रहे थे। बादशाह खा-खाकर उनकी गुठलियों और छिलके अपनी बेगम के आगे इकट्ठे करते जा रहे थे।
अचानक बीरबल भी वहाँ पहुँच गये।
बादशाह उन्हें देखकर मुस्कराये और बोले बीरबल यह बेगम कितनी पेट्र है। मै। अभी एक आम नहीं खा पाया, और इन्होंने कितने आम खा डाले।
बेगम (महारानी जोधाबाई) इस मजाक का उत्तर न दे पाई और लजा कर रह गई।
बड़े शर्म के साथ उन्होंने बीरबल की ओर देखा।बीरबल भी चुप न रहे और उन्होंने फौरन बादशाह को उत्तर दे डाला।
जहांपनाह कुसूर माफ हो। बेगम साहिबा अधिक आम खा छिलके व गुठलियां तो छोड़ देती हैं। पर हुजूर उन्हें भी नहीं छोड़ते। यह सुनकर बादशाह का मुंह बन्द हो गया और बेगम खुश हो उठी।

गधे तम्बाकू नहीं खाते

 बीरबल तम्बाकू खाता था |लेकिन अकबर न खाते थे | एक दिन अकबर ने तम्बाकू के खेत में गधे को घास खाते देखकर कहा बीरबल ये देखा तम्बाकू कैसी बुरी चीज है। गधे तक इसको नहीं खाते।
बीरबल ने कहा हाँ हुजूर सच है गधे, तम्बाकू नहीं खाते। बादशाह शर्मिन्दा हुए।

मुर्गी का अन्डा

 अकबर बादशाह को एक दिन बीरबल की हंसी उड़ाने की इच्छा हुई। अतएव उन्होंने उनके आने से पहले बाजार से मुर्गी के अण्डे मंगवाकर अपने दरबारियों को एक एक अण्डा बांट दिया। केवल बीरबल रह गए।
तदोपरांत वह ज्यों ही दरबार में हाज़िर हुए, बादशाह ने कहा दीवान जी हमने रात में एक बड़ा अजीब सपना देखा। उसका तात्पर्य यह निकला है, जो आदमी इस हौज में डुबकी लगाकर एक मुर्गी का अण्डा न निकाल पायेगा, उसे दो बाप का माना जायेगा। मेरा विचार है, सबकी बारी बारी से परीक्षा ली जाये। सपने की असलियत का भी पता चल जाएगा।
बादशाह की अनुमति से सब दरबारियों ने हौज में डुबकी मारी एवं हाथ में मुर्गी का अण्डा लेकर बाहर निकले। जब बीरबल की बारी आई तो वह हौज में डुबकी लगाकर खाली हाथ निकल आये, किन्तु उनके मुख से कुकडू कू की आवाज़ निकल रही थी।
बादशाह ने पूछा-दीवान जी तुम्हारा अण्डा कहाँ गया? जल्दी से दिखलाओ?
बीरबल ने उत्तर दिया हुजूर बादशाह सलामत? तमाम अण्डे देने वाली मुर्गियों के बीच में मैं ही एक मुर्गा हूँ।
उनके आशय को समझकर सब दरबारी सहम गये। जब कि बादशाह के होठों पर मुस्कुराहट खेलने लगी।

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